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23 Feb 2023 · 2 min read

तब घर याद आता है

आंखें नम हो जाती हैं
याद मां की आती है ,
जब भूख सताती है
तब घर याद आता है!

दिल में दवी ख्वाहिश
जब अधूरी रहती है ,
जेब खाली होता है
तब घर याद आता है !

आंख जब उठाता हूं
अपने नहीं दिखते है ,
बेगानों की बस्ती हो
तब घर याद आता है !

जब हमारे पूरे होते
सपने नहीं दिखते हैं,
जब आंसू नहीं टिकते
तब घर याद आता है !

बाजार में देखता हूं
हर चीज बिक रही है,
पर वहां रिश्ते नहीं है
तब घर याद आता है!

बचपन की यादें जब
बार-बार आ जाती हैं,
रूह महका जाती हैं
तब घर याद आता है !

पिताजी की सीख जब
कहीं पर काम आती है,
कई अनुभव दे जाती है
तब घर याद आता है !

मां की गोद में सोने का
जब मन मेरा करता है,
जब मां याद आती है
तब घर याद आता है !

होटलों का खाना जब
रास नहीं आता मुझको,
पैसा ज्यादा जाता हो
तब घर याद आता है !

मां के हाथ के खाना
मिले हो जाए जमाना,
मां के हाथ की खुशबू
तब घर याद आता है !

मालिक जब नौकरी में
बात बात पे सुनाता हो,
जब पगार ना भाता हो
तब घर याद आता है !

जब अंधेरों का आलम
जीवन में छा जाता है
समय विपरीत आता है
तब घर याद आता है

आज की नई पीढ़ी
उम्मीद तोड़ जाती है ,
मर्जी अपनी चलाती है
तब घर याद आता है !

मेहनत करते करते
बदन टूटने लगता है,
कोई रुठने लगता है
कब घर याद आता है !

सूरज की किरण जब
लौट कर चली जाती है,
जब निशा आ जाती है
तब घर याद आता है !

बड़ी-बड़ी इमारतें हो
रास नहीं आ आती हैं,
मन न मिल पाता हो
तब घर याद आता है!

जब स्कूल की यादें हमें
फिर फिर हमें सताती हैं
जब दोस्त याद आते हैं
तब घर याद आता है !

जब बचपन के किस्से
मां दुनिया को सुनाती है,
हरकतें मेरी बताती है
तब घर याद आता है!

जब अध्यापक की बातें
दिल मेरा छू जाती हैं ,
दिल में आग लगाती हैं
तब घर याद आता है !

जो कई वर्षों का प्यार
हमें छोड़कर जाता है ,
वादा तोड़ वो जाता है
तब घर याद आता है !

दिखावटी दुनिया में
सादा जीवन भाता है,
बाजार बुद्धू बनाता है
तब घर याद आता है !

बच्चा कोई रो-रो कर
जब खिलौना लाता है ,
बचपन याद दिलाता है
तब घर याद आता है !

अपनों को जब कोई
बुरा भला कह जाता है,
खून खौल जाता है
तब घर याद आता है !

गांव की खुशबू जब
भी मुझे सताती है ,
जब भी खत आता है
तब घर याद आता है !

बहन की विदाई की
याद जब आती है ,
आंखें भर जाती हैं
जब घर याद आता है

✍कवि दीपक सरल

Language: Hindi
1 Like · 74 Views
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