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27 Jun 2016 · 1 min read

तन्हा ही करते सफर देखा गया

छूटता दोषी इधर देखा गया
धन को पुजते जब उधर देखा गया

मौत से कोई बचा पाया नहीं
पर डरा हर उम्र भर देखा गया

ज़िन्दगी जिनसे मिली जग में उन्हें
बोझ अक्सर मान कर देखा गया

दोस्त कितने हो यहाँ पर आदमी
तन्हा ही करते सफर देखा गया

होटलों को शक्ल देकर गांव की
फख्र करता अब शहर देखा गया

प्यार में पलकें झुकी यूँ शर्म से
उनको बस इक ही नज़र देखा गया

वक़्त रहता एक सा कब अर्चना
गुम भी अक्सर नामवर देखा गया

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Comment · 441 Views
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