Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2016 · 1 min read

तन्हा ही करते सफर देखा गया

छूटता दोषी इधर देखा गया
धन को पुजते जब उधर देखा गया

मौत से कोई बचा पाया नहीं
पर डरा हर उम्र भर देखा गया

ज़िन्दगी जिनसे मिली जग में उन्हें
बोझ अक्सर मान कर देखा गया

दोस्त कितने हो यहाँ पर आदमी
तन्हा ही करते सफर देखा गया

होटलों को शक्ल देकर गांव की
फख्र करता अब शहर देखा गया

प्यार में पलकें झुकी यूँ शर्म से
उनको बस इक ही नज़र देखा गया

वक़्त रहता एक सा कब अर्चना
गुम भी अक्सर नामवर देखा गया

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Comment · 576 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
Lokesh Sharma
3964.💐 *पूर्णिका* 💐
3964.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
■ सतनाम वाहे गुरु सतनाम जी।।
■ सतनाम वाहे गुरु सतनाम जी।।
*प्रणय प्रभात*
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
kumar Deepak "Mani"
Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme movers and packers in hadapsar
Shiftme
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती,
अनिल "आदर्श"
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
Santosh kumar Miri
सत्य साधना
सत्य साधना
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
यह गोकुल की गलियां,
यह गोकुल की गलियां,
कार्तिक नितिन शर्मा
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राम तेरी माया
राम तेरी माया
Swami Ganganiya
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चोर साहूकार कोई नहीं
चोर साहूकार कोई नहीं
Dr. Rajeev Jain
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बंधन
बंधन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"अकेडमी वाला इश्क़"
Lohit Tamta
माईया गोहराऊँ
माईया गोहराऊँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
Bhupendra Rawat
*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
*मरने से क्यों डरते हो तुम, यह तन नश्वर है माया है (राधेश्या
Ravi Prakash
दूरी जरूरी
दूरी जरूरी
Sanjay ' शून्य'
भूख
भूख
Neeraj Agarwal
हम तेरा
हम तेरा
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
Ranjeet kumar patre
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"शहनाई की गूंज"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...