Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

तन्हा था मैं

तन्हा था मैं
अकेला था मैं
फिर क्यो मैं, दूसरो को
अपना मानता रहा।
पागल था मैं।
जो बेवजहा दूसरो को
खुदा मानता रहा।
खुदा वो मुझमे भी था।
फिर भी मैं
दूसरो मे ही झाकता रहा।
जैसे आईना रखके सामने
मैं खुद को ताकता रहा।
जब पता चला
के वो वहम था मेरा।
मैं बेवजहा ही
कही ओर झाकता रहा।
खुदा कैसे मिलता जब मैं
गलत जगह ही ताकता रहा।
“”””**””””**””””**””””**”””

Language: Hindi
101 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Swami Ganganiya
View all
You may also like:
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
कृष्णकांत गुर्जर
खिड़कियां हवा और प्रकाश को खींचने की एक सुगम यंत्र है।
खिड़कियां हवा और प्रकाश को खींचने की एक सुगम यंत्र है।
Rj Anand Prajapati
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
हिंदी हाइकु- नवरात्रि विशेष
हिंदी हाइकु- नवरात्रि विशेष
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
किसी से कभी नहीं ,
किसी से कभी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
*प्रणय प्रभात*
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
शेखर सिंह
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
Harminder Kaur
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
कली से खिल कर जब गुलाब हुआ
नेताम आर सी
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का  इम्तेहान न ले ,
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
Neelofar Khan
स्तुति - गणपति
स्तुति - गणपति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
Diwakar Mahto
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*गर्मी पर दोहा*
*गर्मी पर दोहा*
Dushyant Kumar
जब कभी आपसी बहस के बाद तुम्हें लगता हो,
जब कभी आपसी बहस के बाद तुम्हें लगता हो,
Ajit Kumar "Karn"
🎋🌧️सावन बिन सब सून ❤️‍🔥
🎋🌧️सावन बिन सब सून ❤️‍🔥
डॉ० रोहित कौशिक
मुझसे बुरा इंसान कोई नहीं
मुझसे बुरा इंसान कोई नहीं
Sonam Puneet Dubey
बूढ़ा बापू
बूढ़ा बापू
Madhu Shah
जज़्बात पिघलते रहे
जज़्बात पिघलते रहे
Surinder blackpen
अक्सर मां-बाप
अक्सर मां-बाप
Indu Singh
2666.*पूर्णिका*
2666.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
आर.एस. 'प्रीतम'
क्षणिका  ...
क्षणिका ...
sushil sarna
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
"वफादार"
Dr. Kishan tandon kranti
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
महानगर के पेड़ों की व्यथा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
Anil Kumar Mishra
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
गृहिणी (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
Loading...