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24 Jan 2024 · 1 min read

तज द्वेष

तज द्वेष मिटा कटुता मन शीलम।
भज नाम मुरार कटे दुख कीलम।।
दिन रैन निहारत राह पिया दृग,
कब त्रास मिटे मृग लोचन नीलम।।

उर में धँसते सुख कंटक से नित।
बिसरा दुख मानस का कर ले हित।।
अनुराग भरो मन मानुष जीवन।
परिवेश सजे हुलसे मन आँगन।।

नीलम शर्मा ✍️

Language: Hindi
3 Likes · 122 Views
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