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14 Apr 2024 · 1 min read

तकते थे हम चांद सितारे

तकते थे हम चांद सितारे
सोते थे जब छत पर
सप्त ऋषि का मंडल देखें
तारों में ध्रुव अंबर

इक डोर से बंधे थे रिश्ते
खटिया पर सब बिस्तर
पास पास से दूर हुए कक्ष
कुछ कहना भी दुष्कर

खुद से दूर आए निकल हैं
छूटी सब पगडंडी
छोटा दिखा शहर का सपना
धूल धुआं सब नश्तर

अब बचपन को याद करे क्यों
पंच तत्व की रेखा
हर पीठ वैताल टंगा है
क्या दे विक्रम उत्तर।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
115 Views
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