Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2023 · 2 min read

*ढ* और *ढ़* का अंतर व्हाट्सएप समूह पर सीखा

*ढ* और *ढ़* का अंतर व्हाट्सएप समूह पर सीखा
————————————————————-
मुझे *ढ* और *ढ़* का अंतर उच्चारण की दृष्टि से तो हमेशा से ज्ञात था लेकिन लिखने में गलती मैं यह करता रहा कि दोनों ही अक्षरों के नीचे बिंदी लगा देता था । यह भूल 58 – 59 साल की उम्र तक चलती रही।
जब मैं डॉ राकेश सक्सेना (एटा) के *तूलिका बहुविधा मंच व्हाट्सएप समूह* का सदस्य बना तब *डॉ. श्याम सनेही लाल शर्मा जी* (तत्कालीन प्राध्यापक ,हिंदी विभाग, कुसुमबाई जैन कन्या महाविद्यालय ,भिंड, मध्य प्रदेश ) ने मेरे किसी गीत अथवा गीतिका की समीक्षा करते हुए इस दोष को पकड़ा ,इंगित किया तथा मेरा ध्यान इस ओर गया । मैंने तत्काल उनसे पूछा ” इन दोनों में किस प्रकार अंतर करें ?”
उन्होंने लिखा “बस इतना समझ लीजिए कि शब्द के शुरुआत में नीचे बिंदी नहीं लगती है ।”
अब इस फार्मूले की मैंने मन ही मन बहुत से शब्दों के उच्चारण के साथ जाँच- पड़ताल करना आरंभ किया और अपनी भूल मेरी समझ में आ गई । बिना बिंदी वाले बहुत से शब्द थे :- ढक्कन ,ढिबरी ,ढकना आदि आदि । मैंने सुधार कर लिया। हालाँकि अभी भी 58 – 59 साल की आदत आसानी से नहीं जाती । जब भी गलत स्थान पर नीचे बिंदी लगाता हूँ ,तो डॉक्टर श्याम सनेही लाल शर्मा जी का स्मरण हो आता है और मैं नीचे बिंदी नहीं लगाता ।
उपरोक्त घटना चक्र के उपरांत मैं एक बार व्हाट्सएप समूह में सदस्यों द्वारा लिखित कुंडलियों की समीक्षा कर रहा था। एक विद्वान महोदय ने *ढूँढे* का *तुकांत* *बूढ़े* से जोड़ दिया । अगर पहले की बात होती तब तो मैं शायद अनदेखा कर देता ,लेकिन अब क्योंकि मुझे *ढ* और *ढ़* का अंतर भली-भाँति ज्ञात हो चुका था ,अतः मैंने इस तुकांत पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। विद्वान महोदय ने अपनी भूल को स्वीकार किया ।
मेरे हिंदी शिक्षक हमेशा से विद्यालय में बहुत योग्य रहे ,लेकिन न मालूम कैसे मैं इस मामले में अधूरा रह गया ।
कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति जीवन भर सीखता रहता है और उसे सीखना भी चाहिए । कभी भी अपने आप को संपूर्ण समझ कर सीखने की प्रक्रिया बंद नहीं करनी चाहिए ।
———————————————————–
*लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*

Language: Hindi
Tag: संस्मरण
42 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
सूर्यकांत द्विवेदी
दिल की बात,
दिल की बात,
Pooja srijan
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक बधाई व अनन्त...
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
कि सब ठीक हो जायेगा
कि सब ठीक हो जायेगा
Vikram soni
मौसम खराब है
मौसम खराब है
Vijay kannauje
जीवन
जीवन
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
होली (होली गीत)
होली (होली गीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
rkchaudhary2012
देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की
देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने...
Shubham Pandey (S P)
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
समय को दोष देते हो....!
समय को दोष देते हो....!
Dr. Pratibha Mahi
Phoolo ki wo shatir  kaliya
Phoolo ki wo shatir kaliya
Sakshi Tripathi
कभी
कभी
Ranjana Verma
समाज का दर्पण और मानव की सोच
समाज का दर्पण और मानव की सोच
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
💐प्रेम कौतुक-480💐
💐प्रेम कौतुक-480💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा
दोहा
नवल किशोर सिंह
अनकहे अल्फाज़
अनकहे अल्फाज़
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नमन माँ गंग !पावन
नमन माँ गंग !पावन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय...
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
Ram Krishan Rastogi
विपरीत परिस्थितियों में
विपरीत परिस्थितियों में
Dr fauzia Naseem shad
डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण
Seema gupta,Alwar
अनपढ़ बनाने की साज़िश
अनपढ़ बनाने की साज़िश
Shekhar Chandra Mitra
कुछ जुगनू उजाला कर गए हैं।
कुछ जुगनू उजाला कर गए हैं।
Taj Mohammad
श्वान प्रेम
श्वान प्रेम
Satish Srijan
सभ प्रभु केऽ माया थिक...
सभ प्रभु केऽ माया थिक...
मनोज कर्ण
कविता (घनाक्षरी)
कविता (घनाक्षरी)
Jitendra Kumar Noor
पहचान के पर अपने उड़ जाना आसमाँ में,
पहचान के पर अपने उड़ जाना आसमाँ में,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
इक क्षण
इक क्षण
Kavita Chouhan
*उजड़ जाता है वह उपवन जहॉं माली नहीं होता (मुक्तक)*
*उजड़ जाता है वह उपवन जहॉं माली नहीं होता (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Loading...