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20 Aug 2021 · 1 min read

डूब जाते हैं घराने

डूब जाते हैं घराने (ग़ज़ल)
*** 212 212 122 ***
********************

राम के रंग राम जाने,
ढूंढ़ते इंसान बस बहाने।

आहटें जानती पथिक को,
ठीक लगते सभी निशाने।

देख कर झाँकते बगल से,
हैं मिलाते नज़र दिवाने।

प्यार में पस्त जिंदगी है,
हैं बहुत दूर सब ठिकाने।

बेवफा यार जान सीरत,
डूब जाते बड़े घराने।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

270 Views

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