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30 Jan 2023 · 1 min read

डाला है लावा उसने कुछ ऐसा ज़बान से

ग़ज़ल
डाला है लावा उसने कुछ ऐसा ज़बान से
बहने लगा है ख़ून मेरे दोनों कान से

मैं हूँ ज़मीं पे गिर गया तो उठ भी जाऊँगा
कैसे बचेगा तू जो गिरा आसमान से

कुछ सब्र भी करो कि नतीज़ा भी आएगा
क्यों अपनी जीत मान रहे हो रुझान से

तेरे दिलो दिमाग में कुछ है जो सड़ रहा
आती है मुझको बदबू तेरे इत्रदान से

उसने ‘अनीस’ काट दिया है वही दरख़्त
साये में जिसके बैठ गया था थकान से
अनीस शाह ‘अनीस’

Language: Hindi
1 Like · 28 Views

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