ठोकरे इतनी खाई है हमने,

ठोकरे इतनी खाई है हमने,
कोई तो अब मुकाम आएगा
कितने दीए जलाए कि हमने
कोई अंधेरों में काम आएगा
(एक शिक्षक की कलम से)
✍कवि दीपक सरल
ठोकरे इतनी खाई है हमने,
कोई तो अब मुकाम आएगा
कितने दीए जलाए कि हमने
कोई अंधेरों में काम आएगा
(एक शिक्षक की कलम से)
✍कवि दीपक सरल