Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

झूठ की अम्मा रो दी…:हास्य कुण्डलिया :

मोदी, राउल भूख में, भटके रेगिस्तान.
मस्जिद देखी सामने. संकट में थी जान.
संकट में थी जान, तंग हो राउल बोलें,
मैं हमीद औ तुम शफीक, बन मस्जिद हो लें.
मैं मोदी ही ठीक, झूठ की अम्मा रो दी,
‘रोजा’, हाय नसीब! छक रहे जमकर मोदी.

प्रस्तुति: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पत्थर का शहर
पत्थर का शहर
Poonam Sharma
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
Ravi Prakash
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
मुंबई फिर दहली
मुंबई फिर दहली
C S Santoshi
उस स्त्री के प्रेम में मत पड़ना
उस स्त्री के प्रेम में मत पड़ना
Shubham Anand Manmeet
"गड़बड़झाला"
Dr. Kishan tandon kranti
*गलतफहमी*
*गलतफहमी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
घर संसार का बिखरना
घर संसार का बिखरना
Krishna Manshi
खुद के वजूद को।
खुद के वजूद को।
Taj Mohammad
कोई गुरबत
कोई गुरबत
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
दोहे विविध प्रकार
दोहे विविध प्रकार
Sudhir srivastava
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
2948.*पूर्णिका*
2948.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
डी. के. निवातिया
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मानव जीवन केवल एक पल है, और यह बेकार है यदि इसे सही तरीके से
मानव जीवन केवल एक पल है, और यह बेकार है यदि इसे सही तरीके से
पूर्वार्थ
कविता-निज दर्शन
कविता-निज दर्शन
Nitesh Shah
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
कवि प्रकृति के विपरीत है...!
कवि प्रकृति के विपरीत है...!
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आखिर क्यों
आखिर क्यों
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो ही
वो ही
Ruchi Sharma
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
©️ दामिनी नारायण सिंह
विदाई गीत
विदाई गीत
संतोष बरमैया जय
अपनी सोच का शब्द मत दो
अपनी सोच का शब्द मत दो
Mamta Singh Devaa
शे
शे
*प्रणय*
Loading...