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2 May 2023 · 1 min read

“झूठ और सच” हिन्दी ग़ज़ल

नाम, अधरों से, निकलता रह गया,
मन ही मन था मैं, बिलखता रह गया।

घात पर प्रतिघात, थे होते गए,
वेदना थी इक, जो सहता रह गया।

व्यूह, व्यापक, वर्जनाओं ने बुना,
उलहने था उसके, सुनता रह गया।

शत्रुता, उसने निभाई, उम्र भर,
उर मेरा, सँकोच करता रह गया।

झूठ, “आशा” हाट मेँ, पल मेँ बिका,
सत्य, पर दिन भर, सिसकता रह गया..!

##———–##———–#———–

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 247 Views
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