Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2023 · 1 min read

“झूठ और सच” हिन्दी ग़ज़ल

नाम, अधरों से, निकलता रह गया,
मन ही मन था मैं, बिलखता रह गया।

घात पर प्रतिघात, थे होते गए,
वेदना थी इक, जो सहता रह गया।

व्यूह, व्यापक, वर्जनाओं ने बुना,
उलहने था उसके, सुनता रह गया।

शत्रुता, उसने निभाई, उम्र भर,
उर मेरा, सँकोच करता रह गया।

झूठ, “आशा” हाट मेँ, पल मेँ बिका,
सत्य, पर दिन भर, सिसकता रह गया..!

##———–##———–#———–

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all
You may also like:
इतना घुमाया मुझे
इतना घुमाया मुझे
कवि दीपक बवेजा
"अल्मोड़ा शहर"
Lohit Tamta
मुझको कभी भी आजमाकर देख लेना
मुझको कभी भी आजमाकर देख लेना
Ram Krishan Rastogi
सफर
सफर
Anamika Singh
ज़र्फ़ तेरा अगर
ज़र्फ़ तेरा अगर
Dr fauzia Naseem shad
मैं तो महज एक नाम हूँ
मैं तो महज एक नाम हूँ
VINOD KUMAR CHAUHAN
हिंदू धर्म आ हिंदू विरोध।
हिंदू धर्म आ हिंदू विरोध।
Acharya Rama Nand Mandal
मायके से दुआ लीजिए
मायके से दुआ लीजिए
Harminder Kaur
प्रेम में सब कुछ सहज है
प्रेम में सब कुछ सहज है
Ranjana Verma
मैं तुझमें तू मुझमें
मैं तुझमें तू मुझमें
Varun Singh Gautam
शहीद उधम सिंह नमन तुम्हें
शहीद उधम सिंह नमन तुम्हें
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भूखे भेड़िये हैं वो,
भूखे भेड़िये हैं वो,
Maroof aalam
मुझमें एक जन सेवक है,
मुझमें एक जन सेवक है,
Punam Pande
नन्हें फूलों की नादानियाँ
नन्हें फूलों की नादानियाँ
DESH RAJ
प्यार करके।
प्यार करके।
Taj Mohammad
आपकी यादों में
आपकी यादों में
Er.Navaneet R Shandily
टूटे बहुत है हम
टूटे बहुत है हम
The_dk_poetry
शब्द
शब्द
Paras Nath Jha
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
Dr. Seema Varma
2381.पूर्णिका
2381.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
लो विदा अब
लो विदा अब
Dr. Girish Chandra Agarwal
हम तो अपनी बात कहेंगें
हम तो अपनी बात कहेंगें
अनिल कुमार निश्छल
सच
सच
अंजनीत निज्जर
नज़रिया
नज़रिया
Dr. Kishan tandon kranti
■ चिंतापूर्ण चिंतन
■ चिंतापूर्ण चिंतन
*Author प्रणय प्रभात*
बाबूजी
बाबूजी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चाय और गपशप
चाय और गपशप
Seema gupta,Alwar
रखे हों पास में लड्डू, न ललचाए मगर रसना।
रखे हों पास में लड्डू, न ललचाए मगर रसना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Shayri
Shayri
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...