Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2023 · 1 min read

मजदूर का बेटा हुआ I.A.S

एक आदमी हँसती भीड़ के बीच रो रहा था,
किसी को क्या पता उसके अंदर क्या हो रहा था,
किसी खुशी में पत्थर पिघल कर पानी हो रहा था,
या अपनी बेवशी में पानी जमकर पत्थर हो रहा था।।

सामने जमी महफ़िल में उसका इतंजार हो रहा था,
वह काबिल है उसके या नहीं वह अभी बस यही सोच रहा था,
गोरी चिकनी संगमरमर पर रगड़ा हुआ पत्थर आगे बढ़ रहा था,
उसे देख वेटर खुश और क्रॉकरी नाक मुँह सिकोड़ रहा था।।

वह जमे हुए पैरों से एक एक कदम आगे ऐसे रख रहा था,
जैसे कीचड़ में सना कोई कीड़ा मंदिर की सीढ़ियां चढ़ रहा था,
उसकी शान में हर कोई साहब गुस्ताखी कर रहा था,
बड़ा, मजबूर था समाज, नजरें नीचे छिपाकर डर रहा था।।

जमींदोज विश्वास उसका अभी कब्र से बाहर हो रहा था,
उसको यकीन खुद पर और खुदा पर भी नहीं हो रहा था,
सामने जिसके रगड़ी है नाक उसके माता पिता ने,
आज वही दुश्मन उसका सगा सहोदर हो रहा था…।

प्रशांत सोलंकी

Language: Hindi
3 Likes · 664 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all

You may also like these posts

राजनीति की पी रहे, सारे अगर शराब.
राजनीति की पी रहे, सारे अगर शराब.
RAMESH SHARMA
इस खुदगर्ज दुनिया में किसी गैर को,
इस खुदगर्ज दुनिया में किसी गैर को,
श्याम सांवरा
रामलला ! अभिनंदन है
रामलला ! अभिनंदन है
Ghanshyam Poddar
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
हम से भी ज्यादा हमारे है
हम से भी ज्यादा हमारे है
नूरफातिमा खातून नूरी
पेंशन पर कविता
पेंशन पर कविता
गुमनाम 'बाबा'
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
प्रीतम
प्रीतम
श्रीहर्ष आचार्य
जीत का हौसला रखा खुद में
जीत का हौसला रखा खुद में
Dr fauzia Naseem shad
मैं अलग हूँ
मैं अलग हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
- उलझा हुआ सवाल है लड़को की ज़िंदगी -
- उलझा हुआ सवाल है लड़को की ज़िंदगी -
bharat gehlot
किताबें पूछती हैं
किताबें पूछती हैं
Surinder blackpen
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
निराला का मुक्त छंद
निराला का मुक्त छंद
Shweta Soni
जिंदगी का कागज...
जिंदगी का कागज...
Madhuri mahakash
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
"अजीबोगरीब"
Dr. Kishan tandon kranti
The best Preschool Franchise - Londonkids
The best Preschool Franchise - Londonkids
Londonkids
4403.*पूर्णिका*
4403.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुझको मांग लेते हैँ
तुझको मांग लेते हैँ
Mamta Rani
— मैं सैनिक हूँ —
— मैं सैनिक हूँ —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
जीवन में कुछ भी रखना, निभाना, बनाना या पाना है फिर सपने हो प
जीवन में कुछ भी रखना, निभाना, बनाना या पाना है फिर सपने हो प
पूर्वार्थ
नारी
नारी
Rambali Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
गज़ल
गज़ल
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
संत बनाम कालनेमि
संत बनाम कालनेमि
मनोज कर्ण
नियम
नियम
Ajay Mishra
कलमबाज
कलमबाज
Mangilal 713
Loading...