Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2023 · 1 min read

झुकाव कर के देखो ।

ये वहीं भाव है,
जो सब ढूंढ रहे हो,
अपने अपनो को मूंद रहे हो,
अंदर ही अंदर एक चाह है,
जुड़ने की एक आह भी है,
फिर भी क्या कुछ कौन्ध रहा है,
जो भावो को रोक रहा है,
अंत क्षणों तक रौंध रहा,
एक विडम्बना हो गई है,
मुश्किल में भी खो गई है,
कोई कर के देखें झुकाओ,
झुक जाने में कौन रोक रहा है,
अहम् है क्या उन सबके अंदर,
जीवन भर अपनो से मुँह मोड़ रहा,
फिर क्यों जीता है दर्द को लेकर,
झुकने से न ऊँचा ना नीचा,
अपना रुझान बना कर देखो,
दिल खोल कर मिल कर देखो,
भावों की सरिता बहने दो,
प्रेम का सागर भरने दो,
झुकाव वो गागर है,
थोड़ा सा झुकाव कर के तो देखो ।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा,
हमीरपुर।

2 Likes · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

*बाढ़*
*बाढ़*
Dr. Priya Gupta
खूब रोया अटल हिज्र में रात भर
खूब रोया अटल हिज्र में रात भर
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
श्री राम वंदना
श्री राम वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
मैंने देखा है
मैंने देखा है
Bindesh kumar jha
सपनों की सच्चाई
सपनों की सच्चाई
श्रीहर्ष आचार्य
समय का भंवर
समय का भंवर
RAMESH Kumar
"तरबूज"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
"पुराने दिन"
Lohit Tamta
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू
Sudhir srivastava
4464.*पूर्णिका*
4464.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅शाश्वत सत्य🙅
🙅शाश्वत सत्य🙅
*प्रणय*
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
लिखूं कविता
लिखूं कविता
Santosh kumar Miri
33 लयात्मक हाइकु
33 लयात्मक हाइकु
कवि रमेशराज
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
जीवन बिता रहे है मजदूर मुफलिसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
सोचा यही था ज़िन्दगी तुझे गुज़ारते।
सोचा यही था ज़िन्दगी तुझे गुज़ारते।
इशरत हिदायत ख़ान
*बुखार ही तो है (हास्य व्यंग्य)*
*बुखार ही तो है (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
Sadhavi Sonarkar
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बेटी
बेटी
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
प्यारा भारत देश हमारा
प्यारा भारत देश हमारा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वसन्त
वसन्त
Madhuri mahakash
#आस
#आस
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सच्चा मन का मीत वो,
सच्चा मन का मीत वो,
sushil sarna
टूटे नहीं
टूटे नहीं
हिमांशु Kulshrestha
धरा --गीत
धरा --गीत
rekha mohan
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
रहो तुम स्वस्थ्य जीवन भर, सफलता चूमले तुझको,
DrLakshman Jha Parimal
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
Loading...