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14 May 2024 · 1 min read

झुकता आसमां

** झुकता आसमां **

न जाने किन उम्मीदों से मिल जाता हूं ,
बस जिंदगी यूं ही मैं जी जाता हूं ।
पल पल बदलती ज़िन्दगी के,
हर दौर से मैं मिल जाता हूं ।

माना वक्त फिसल जाता हैं ,
ताजगी का दौर गुजर जाता है ।
ढलती हर शाम में अब मैं ढल जाता हूं
मुश्किलों से अब मैं उबर जाता हूं ।

न जाने किन उम्मीदों से मिल जाता हूं ,
बस जिन्दगी यूं ही मैं जी जाता हूं ।

हौसले माना आसमां दिखलाता है ,
नसीब भी हर बात समझाता है .
तकदीर की हर बात अब मैं समझ जाता हूं ,
बस जिंदगी यूं ही मैं जी जाता हूं ।
-शेखर सिंह

Language: Hindi
109 Views
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