Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2023 · 1 min read

जो पहली ही ठोकर में यहाँ लड़खड़ा गये

जो पहली ही ठोकर में यहाँ लड़खड़ा गये
उनके लिए ये रास्ते हमेशा गुमराह हो गये

हमने तो मंझिलो को यूँही अनदेखा किया
चलते चलते सफर में कई हमराह हो गये

⚪️ ‘अशांत’ शेखर
06/02/2023

57 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
बहुजन दीवाली
बहुजन दीवाली
Shekhar Chandra Mitra
पीताम्बरी आभा
पीताम्बरी आभा
manisha
मुहावरा -आगे कुंआ पीछे खाई-
मुहावरा -आगे कुंआ पीछे खाई-
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये रिश्ते हैं।
ये रिश्ते हैं।
Taj Mohammad
"उस इंसान को"
Dr. Kishan tandon kranti
कवि
कवि
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कठपुतली का खेल
कठपुतली का खेल
Satish Srijan
Keep saying something, and keep writing something of yours!
Keep saying something, and keep writing something of yours!
DrLakshman Jha Parimal
मित्र भाग्य बन जाता है,
मित्र भाग्य बन जाता है,
Buddha Prakash
बेटियां
बेटियां
rubichetanshukla रुबी चेतन शुक्ला
ऊँचे जिनके कर्म हैं, ऊँची जिनकी साख।
ऊँचे जिनके कर्म हैं, ऊँची जिनकी साख।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
Vishal babu (vishu)
मुझ को अब स्वीकार नहीं
मुझ को अब स्वीकार नहीं
Surinder blackpen
हुआ पिया का आगमन
हुआ पिया का आगमन
लक्ष्मी सिंह
ईद की दिली मुबारक बाद
ईद की दिली मुबारक बाद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*हनुमान जी*
*हनुमान जी*
Shashi kala vyas
Do you know ??
Do you know ??
Ankita Patel
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
Ravi Prakash
माँ तुझे प्रणाम
माँ तुझे प्रणाम
Sumit Ki Kalam Se Ek Marwari Banda
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
Shyam Pandey
यह रात कट जाए
यह रात कट जाए
Shivkumar Bilagrami
दिल चाहे कितने भी,
दिल चाहे कितने भी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
■ आज का मुक्तक...
■ आज का मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
*पानी व्यर्थ न गंवाओ*
Dushyant Kumar
गांव
गांव
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि ’
एक था वृक्ष
एक था वृक्ष
सूर्यकांत द्विवेदी
💐अज्ञात के प्रति-130💐
💐अज्ञात के प्रति-130💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
याद आती है
याद आती है
Er Sanjay Shrivastava
Darak me paida hoti meri kalpanaye,
Darak me paida hoti meri kalpanaye,
Sakshi Tripathi
Loading...