Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2024 · 1 min read

जैसे आँखों को

जैसे आँखों को
छू जाए
कच्चे पक्के सपने,
जैसे कोई दुल्हन पहने
आभूषण और गहने,
जैसे पतझर
झर जाए
नव पुष्प
लगे हों खिलने,
जैसे होठों पर
हो कोई गीत
मधुर सा तिरने
मैंने तुमको
पाया है
इतने पास अपने।

196 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

#करना है, मतदान हमको#
#करना है, मतदान हमको#
Dushyant Kumar
तुम्हें झापट लगाऊँगी
तुम्हें झापट लगाऊँगी
gurudeenverma198
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
Ravikesh Jha
भैया  के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
भैया के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में  होती है पर
व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में होती है पर
DrLakshman Jha Parimal
तेरे नाम लिखूँ
तेरे नाम लिखूँ
Dr. Kishan tandon kranti
एक पाती - दोस्ती के नाम
एक पाती - दोस्ती के नाम
Savitri Dhayal
चाँद...
चाँद...
ओंकार मिश्र
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
Neelofar Khan
घुंघट में
घुंघट में
C S Santoshi
कविता - नन्हीं चींटी
कविता - नन्हीं चींटी
पूनम दीक्षित
खिंची लकीर
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिनके घर नहीं हैं
जिनके घर नहीं हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
Kanchan Alok Malu
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
Monika Arora
कुंडलिया
कुंडलिया
seema sharma
"जिन्दगी के इस युद्ध में अपने हिस्से आये कृष्ण को संभाले रखन
पूर्वार्थ
जीवन में संघर्ष है ,
जीवन में संघर्ष है ,
Sakshi Singh
छठ माता
छठ माता
Dr Archana Gupta
प्रथम दृष्ट्या प्यार
प्रथम दृष्ट्या प्यार
SURYA PRAKASH SHARMA
जन्म मरण न जीवन है।
जन्म मरण न जीवन है।
Rj Anand Prajapati
माना की आग नहीं थी,फेरे नहीं थे,
माना की आग नहीं थी,फेरे नहीं थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिन और रात-दो चरित्र
दिन और रात-दो चरित्र
Suryakant Dwivedi
4349.*पूर्णिका*
4349.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Love yourself
Love yourself
आकांक्षा राय
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
*अमर रहे गणतंत्र हमारा, मॉं सरस्वती वर दो (देश भक्ति गीत/ सरस्वती वंदना)*
Ravi Prakash
पास तो आना- तो बहाना था
पास तो आना- तो बहाना था"
भरत कुमार सोलंकी
*
*"ओ पथिक"*
Shashi kala vyas
Loading...