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16 May 2023 · 1 min read

जुल्मतों के दौर में

सोचना भी जुर्म है
बोलना भी जुर्म है
ज़ुल्मतों के राज़
खोलना भी जुर्म है…
(१)
खौफ़नाक सन्नाटा
जब फैला हुआ हो
बगावत हवाओं में
घोलना भी जुर्म है…
(२)
जब तलवार सामने हो
तो हाथ की क़लम से
जल्लाद की ताक़त को
तौलना भी जुर्म है…
(३)
वक़्त के सुकरात को
मिलता है ज़हर यहां
जान-बूझकर ख़तरा
मोलना भी जुर्म है…
(४)
पहले से चिढ़े हुए हों
हुक़्मरान जिनसे
उनके साथ खुलेआम
डोलना भी जुर्म है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#शायरी #freedomofspeech
#हिम्मत #अभिव्यक्ति #आजादी
#इंसाफ #सरफरोश #हल्लाबोल
#इंकलाबी #बागी #सियासी #शायर
#विद्रोही #क्रांतिकारी #कवि #हक
#गीतकार #lyrics #lyricist #सच

Language: Hindi
Tag: गीत
134 Views
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