Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2016 · 1 min read

जुबां इश्क़ की

दास्ताँ क्या पूछते हो बेजुबां इश्क़ की
होके फना ही आती है जुबां इश्क़ की
**************************
कपिल कुमार
11/08/2016

Language: Hindi
Tag: शेर
250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
" पुराने साल की बिदाई "
DrLakshman Jha Parimal
“हिचकी
“हिचकी " शब्द यादगार बनकर रह गए हैं ,
Manju sagar
■ चुनावी साल के चतुर चुरकुट।।
■ चुनावी साल के चतुर चुरकुट।।
*प्रणय प्रभात*
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
gurudeenverma198
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
2898.*पूर्णिका*
2898.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेमेल शादी!
बेमेल शादी!
कविता झा ‘गीत’
"सौदा"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी मौत पर
ज़िंदगी मौत पर
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
Neelofar Khan
बेटा
बेटा
Neeraj Agarwal
आप समझिये साहिब कागज और कलम की ताकत हर दुनिया की ताकत से बड़ी
आप समझिये साहिब कागज और कलम की ताकत हर दुनिया की ताकत से बड़ी
शेखर सिंह
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
संजय कुमार संजू
"Sometimes happiness and peace come when you lose something.
पूर्वार्थ
किरायेदार
किरायेदार
Keshi Gupta
माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
Rj Anand Prajapati
ये तनहाई
ये तनहाई
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सत्य की खोज
सत्य की खोज
dks.lhp
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
बिना रुके रहो, चलते रहो,
बिना रुके रहो, चलते रहो,
Kanchan Alok Malu
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
6. *माता-पिता*
6. *माता-पिता*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
Neeraj kumar Soni
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
Shweta Soni
परिस्थितियों को चीरते हुए निकल जाओ,
परिस्थितियों को चीरते हुए निकल जाओ,
Ajit Kumar "Karn"
ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
अनिल "आदर्श"
Loading...