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22 Feb 2024 · 1 min read

जुदाई।

जुदाई।

चाहें सभी मिलन,
न चाहे कोई जुदाई।
चाहें सभी महफ़िल,
न चाहे कोई तन्हाई।

सिसकता है मन,
चुपके-चुपके रोता है।
इसे वही समझे,
संग जिसके होता है।

जुदाई में आँखें,
बन जाती समंदर।
एक दुनिया बाहर की,
एक दुनिया अंदर।

आग दुनिया की इंसा सह जाता है।
सबके सामने कह जाता है।
पर जुदाई की आग न कह पाता है,
न इसमें रह पाता है।

जुदाई एक तड़प,
पल-पल तड़पना है।
लम्हे-लम्हे की मौत ये,
लम्हे-लम्हे मरना है।

तीर-सी चुभती जुदाई-पीर है..।
जब भी बिछड़े रांझे से हीर है..।
सुहाने सावन में भी
नयनों से बहे नीर है..।
जुदाई है एक दर्दे-दुनिया,
जुदाई की यही तहरीर है।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78

3 Likes · 152 Views
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