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7 Jun 2016 · 1 min read

जीवन

भीड़ के बीच में
अकेला सा जीवन
भावों के जंगल में
खोया सा ये मन

इंद्रधनुषी सपनें
आशा का दामन
फूलों सा खिलता
अपना घर आँगन

वक़्त हमारा जब
तो जीवन उपवन
बरसे बस खुशियाँ
महके भी सावन

बुरे समय में
बिखरा कण कण
गम की चादर ले
सोया अपनापन

ओढ़ बुढ़ापा
रोता है बचपन
साँसें रूठी तो
छोड़ जाती तन

अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 547 Views
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