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18 Mar 2024 · 1 min read

जीवन संध्या में

जीवन संध्या में
प्रकाश सम
फैला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था!

अनगिन सुधियों में
हिमकण सा
पिघला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था

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