जीवन व्यक्त हुआ,परमब्ह्म से :: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट७२)
राजयोगमहागीता:: सारात्सार :: घनाक्षरी छंद ६/२१
******************************
जीवन व्यक्त हुआ परमब्रह्मसे यह ,
इसको सद्विप्ररूप सार्थक बनाना है ।
मोक्ष के आकांक्षी ने लक्ष्य परम मोक्ष लिया ।
संचर- प्रति संचर की धारा न निभाना है ।
कथ्य, तथ्य लय, छंद ,पायें रस काव्य में।तो–
गीता के सदृश ,वत्स! इसको हमें गाना है ।
विषयों को बिष की भॉति आप छोडिए अब,
करके मनन ही तब इसको सुनाना है।।६/ २१!!
—— जितेंद्रकमल आनंद , रामपुर ( उ प्र )