Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2016 · 1 min read

जीवन व्यक्त हुआ,परमब्ह्म से :: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट७२)

राजयोगमहागीता:: सारात्सार :: घनाक्षरी छंद ६/२१
******************************
जीवन व्यक्त हुआ परमब्रह्मसे यह ,
इसको सद्विप्ररूप सार्थक बनाना है ।
मोक्ष के आकांक्षी ने लक्ष्य परम मोक्ष लिया ।
संचर- प्रति संचर की धारा न निभाना है ।
कथ्य, तथ्य लय, छंद ,पायें रस काव्य में।तो–
गीता के सदृश ,वत्स! इसको हमें गाना है ।
विषयों को बिष की भॉति आप छोडिए अब,
करके मनन ही तब इसको सुनाना है।।६/ २१!!

—— जितेंद्रकमल आनंद , रामपुर ( उ प्र )

Language: Hindi
241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
Ravi Prakash
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
ओनिका सेतिया 'अनु '
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा
Mahender Singh
झुंड
झुंड
Rekha Drolia
Bundeli doha-fadali
Bundeli doha-fadali
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लिखने जो बैठता हूँ
लिखने जो बैठता हूँ
हिमांशु Kulshrestha
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
Otteri Selvakumar
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
निराशा क्यों?
निराशा क्यों?
Sanjay ' शून्य'
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
Shweta Soni
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
Suryakant Dwivedi
हम मुहब्बत कर रहे थे........
हम मुहब्बत कर रहे थे........
shabina. Naaz
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
🌹 *गुरु चरणों की धूल* 🌹
🌹 *गुरु चरणों की धूल* 🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैंने यह जान लिया कि....
मैंने यह जान लिया कि....
Ajit Kumar "Karn"
छोटी-छोटी खुशियों से
छोटी-छोटी खुशियों से
Harminder Kaur
करवाचौथ
करवाचौथ
Surinder blackpen
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं प्रगति पर हूँ ( मेरी विडम्बना )
मैं प्रगति पर हूँ ( मेरी विडम्बना )
VINOD CHAUHAN
■ अभाव, तनाव, चुनाव और हम
■ अभाव, तनाव, चुनाव और हम
*प्रणय प्रभात*
3774.💐 *पूर्णिका* 💐
3774.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
एक बनी थी शक्कर मिल
एक बनी थी शक्कर मिल
Dhirendra Singh
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पुराना कुछ भूलने के लिए,
पूर्वार्थ
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
नंद के घर आयो लाल
नंद के घर आयो लाल
Kavita Chouhan
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
Dr Archana Gupta
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
पिया की प्रतीक्षा में जगती रही
Ram Krishan Rastogi
Loading...