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14 Sep 2016 · 1 min read

जीवन में कुछ खोया भी —– गज़ल

जीवन में कुछ खोया भी
लेकिन ज्यादा पाया भी

नफरत की चिंगारी फेंक
लोगों ने भड़काया भी

उसके शिकवे सुन कर कुछ
अपना दर्द सुनाया भी

मुझ को डमरू समझे लोग
सब ने खूब बजाया भी

कहना कुछ बेकार लगा
शिकवा होठों पर आया भी

उड़ते उड़ते बात उड़ी
इतना राज छुपाया भी

पहले बोला गुस्से में
फिर उसने बहलाया भी

गुस्सा उस पर आया भी
पर दिल को समझाया भी

मंदिर मस्जिद जो देखा
सर को वहाँ झुका्या भी

होठों पर मुस्कान रही
आंसू पर छलकाया भी

1 Like · 288 Views
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