Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2024 · 1 min read

जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,

जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
फटी हुई उम्मीदों को हिम्मत के धागे से सीना होगा ।
संघर्ष के मंथन से कभी तो अमृत निकलेगा ,
अपने मजबूत इरादे करके विष भी तुमको पीना होगा ।

मंजू सागर
गाजियाबाद

1 Like · 169 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

জয় আদিদেবের জয়
জয় আদিদেবের জয়
Arghyadeep Chakraborty
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रँगा सँसार
रँगा सँसार
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*आदिशक्ति का अंश*
*आदिशक्ति का अंश*
ABHA PANDEY
गरीबी के मार,बीवी के ताने
गरीबी के मार,बीवी के ताने
Ranjeet kumar patre
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मेरी तुझ में जान है,
मेरी तुझ में जान है,
sushil sarna
"तेरी खामोशियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
विज्ञापन
विज्ञापन
MEENU SHARMA
गीत
गीत
Shiva Awasthi
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
🙌🍀👫 Fall in love
🙌🍀👫 Fall in love
पूर्वार्थ
3824.💐 *पूर्णिका* 💐
3824.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भीगी पलकें( कविता)
भीगी पलकें( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
वीरांगना अवंती बाई
वीरांगना अवंती बाई
guru saxena
..
..
*प्रणय*
माटी
माटी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सुख की खोज़
सुख की खोज़
Sonu sugandh
रामां!  थ्हांरै  रावळै, दूर  होय  सब  वै'म।
रामां! थ्हांरै रावळै, दूर होय सब वै'म।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
फिर पर्दा क्यूँ है?
फिर पर्दा क्यूँ है?
Pratibha Pandey
शुभ प्रभात संदेश
शुभ प्रभात संदेश
Kumud Srivastava
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
shabina. Naaz
हम अभी ज़िंदगी को
हम अभी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
अनोखा कवि सम्मेलन
अनोखा कवि सम्मेलन
अवध किशोर 'अवधू'
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
लक्ष्मी सिंह
हरीतिमा हरियाली वाली हरी शबनमी घास
हरीतिमा हरियाली वाली हरी शबनमी घास
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मौत का पैग़ाम होकर रह गई,
मौत का पैग़ाम होकर रह गई,
पंकज परिंदा
"अमृत महोत्सव"
राकेश चौरसिया
Loading...