Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2023 · 2 min read

जीवन के मोड़

जीवन के मोड़
********************************
अगर हम जीवन पर विचार करें तो महसूस होगा कि थोड़े – थोड़े समय बाद हमारे जीवन के परिदृश्य पूरी तरह बदलते रहते हैं । बचपन में सभी के जीवन की परिभाषा मुख्य रूप से उनके दादी बाबा, नाना नानी आदि हुआ करते हैं , लेकिन युवावस्था तक आते-आते वे संसार से चले जाते हैं । केवल इतना ही नहीं प्रौढ़ावस्था आते आते व्यक्ति के माता और पिता तथा उसकी अगली पीढ़ी के प्रायः सभी लोग एक एक करके इस संसार से विदा लेने लगते हैं और सहसा एक दिन व्यक्ति को लगता है कि अरे ! अब मैं भी पोते पोतियो वाला हो गया हूं और अब मेरी गिनती भी बुजुर्गों में है !
यह जीवन के परिदृश्य में आने वाले बड़े बदलाव होते हैं । व्यक्ति की भूमिकाएं बदल जाती है।
जीवन में और भी बहुत कुछ घटित होता है । शरीर के साथ बड़ी-बड़ी समस्याएं आती हैं । जो व्यक्ति युवावस्था तक बहुत अच्छे शरीर के स्वामी होते हैं ,वह भी बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े होकर विचार करते हैं तो पाते हैं कि उनके शरीर में वह चुस्ती- फुर्ती नहीं रही । अनेक व्यक्ति ऐसी शारीरिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं कि उसे केवल दुखद स्थिति ही कहा जा सकता है। आप चारों ओर दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी दोनों आंखों से कुछ भी दिखाई नहीं देता । ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी कानों की सुनने की शक्ति चली गई है। ऐसे लोग भी हैं जो अपने पैरों से एक कदम चलना तो दूर की बात रही ,अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो सकते। न जाने कितने लोगों को हृदय संबंधी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। बहुतों के गुर्दे खराब हो जाते हैं, जिन्हें डायलिसिस पर लंबे समय तक चलना पड़ता है। भूलने की बीमारी धीरे धीरे आम होती जा रही है । यानी कुल मिलाकर व्यक्ति के जीवन में उसके शरीर की स्थितियां बदलती रहती हैं । शरीर एक – सा नहीं रहता।
कई बार जीवन ऐसे मोड़ पर ले जाकर खड़ा कर देता है , जहां राजमहलों में राजसी सुखों के साथ रहने वाले व्यक्ति अपने जीवन का अंतिम समय झोपड़ियों में दरिद्रता के साथ बिताने के लिए अभिशप्त हो जाते हैं।
देखा जाए तो मनुष्य का जीवन पाल वाली एक ऐसी नौका के समान है, जो हवा के साथ चलती है और जिधर हवाएं ले जाएं, उधर चली जाती है। जैसे नाव पर किसी का बस नहीं होता, ठीक वैसे ही मनुष्य का जीवन है । वह पूरी तरह भाग्य के हाथों में है। जीवन के मोड़ उसे कहां ले जाएं ,कोई कुछ नहीं कह सकता। कुछ दोहों से अपनी बात समाप्त करूंगा :-
**********************************
1
भाग्य हमेशा रच रहा, जीवन के नव मोड़
बूढ़ापन बाकी रहा , गुणा – भाग का जोड़
**********************************
2
किसे पता ले जाएगा,कब जीवन किस ओर
बचपन यौवन ले गया , जैसे कोई चोर
*********************************
3
राजमहल मिलता कभी , झोपड़ियों में वास
उठापटक कब क्या चले,क्या किसको आभास
*************************
लेखक :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: लेख
37 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
पत्नी
पत्नी
Acharya Rama Nand Mandal
बुद्धिमान बनो
बुद्धिमान बनो
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"गिल्ली-डण्डा"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
Manisha Manjari
प्रेम का दरबार
प्रेम का दरबार
Dr.Priya Soni Khare
■ बड़ा सवाल
■ बड़ा सवाल
*Author प्रणय प्रभात*
Khahisho ke samandar me , gote lagati meri hasti.
Khahisho ke samandar me , gote lagati meri hasti.
Sakshi Tripathi
थोपा गया कर्तव्य  बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
Seema Verma
बदतमीज
बदतमीज
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मां
मां
Irshad Aatif
श्रम कम होने न देना _
श्रम कम होने न देना _
Rajesh vyas
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
Rahul Smit
तेरे बाद
तेरे बाद
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-541💐
💐प्रेम कौतुक-541💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Gazal
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता
सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
सलाम भी क़ुबूल है पयाम भी क़ुबूल है
सलाम भी क़ुबूल है पयाम भी क़ुबूल है
Anis Shah
अदम गोंडवी
अदम गोंडवी
Shekhar Chandra Mitra
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सनम  ऐसे ना मुझको  बुलाया करो।
सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
Rashmi Mishra
//... कैसे हो भैया ...//
//... कैसे हो भैया ...//
Chinta netam " मन "
नरभक्षी_गिद्ध
नरभक्षी_गिद्ध
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हर कोरे कागज का जीवंत अल्फ़ाज़ बनना है मुझे,
हर कोरे कागज का जीवंत अल्फ़ाज़ बनना है मुझे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
अपने विचारों को
अपने विचारों को
Dr fauzia Naseem shad
जीवन का  स्वर्ण काल : साठ वर्ष की आयु
जीवन का स्वर्ण काल : साठ वर्ष की आयु
Ravi Prakash
शीत ऋतु
शीत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
shabina. Naaz
भुनेश्वर सिन्हा कांग्रेस के युवा नेता जिसने संघर्ष से बनाया अपना नाम जानिए?
भुनेश्वर सिन्हा कांग्रेस के युवा नेता जिसने संघर्ष से बनाया अपना नाम जानिए?
Jansamavad
Loading...