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13 Jan 2022 · 1 min read

जीवन की यात्रा

जीते जी
अपने जीवन की यात्रा
थोड़ी बहुत तो समझ आ रही है
मरने के बाद
न जाने क्या होगी
जीवन रहते
जीवन न रहते हुए भी
यात्रा तो निरंतर चलती रहती है
यह कभी रुकती नहीं
थकती नहीं
ठहरती नहीं
सम्भलती नहीं
किसी मंजिल पर रुक जाती नहीं
जीवन का पड़ाव
एक क्षण को
मौत भले ही हो पर
इस यात्रा का कोई
अंत नहीं
यह असीमित है
लक्ष्यभेदी है
अनंत है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
Tag: कविता
318 Views
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