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25 Feb 2023 · 1 min read

#जीवन का सार…

#जीवन का सार…
■ सूखा पत्ता एक मिसाल….
【प्रणय प्रभात】
“बेजान जिस्म देखो
डर का सबब बना है।
पहचान नाम से थी
जब तक नहीं मरा था।।
क्या हश्र हुस्न का है
पत्ता बता रहा है।
सूखा हुआ पड़ा है
कल तक हरा-भरा था।।

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