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16 May 2023 · 1 min read

अंतिम एहसास

अंतिम एहसास –

पैदा होता जब इंसान खुशियों
की होती बान जीवंत रिश्तों नातों
के अरमान।।

आँखों का तारा राज दुलारा ।।
आरजू आसमान किसी के बुढ़ापे की दिशा दृष्टि आसरा सहारा नन्ही सी जान ।।

घर समाज कुल खानदान ना जाने कितनों का अरमान बचपन जहाँ अरमानो से अनजान मुस्कान
हर गम से बेगाना जिंदगी का अलग अंदाज़।।

बचपन कब बीत गया पता ही किशोर शोर नाम रौशन करने का जोर ।।

जो कुछ हासिल करना था हासिल कर जहाँ हद हैसियत में शुमार अपने अंदाज़ आगाज़ का
जज्बा नौजवान।।

हर रिश्ते नातों के ख्वाबों की
हकीकत नूर नज़र नाज़ जहाँ में तारीख का एक किरदार।।

वक्त की अपनी रफ्तार गुजर गया बचपन का मासूम मुस्कान किशोर शोर जवानी रवानी बीती आ गयी जिंदगी की साँझ।।

तमाम रिश्ते नातों घर परिवार के नाज़ नखरों की जमी आसमाँ जहाँ फुर्सत नहीं मिलती लम्हे भर की दुनियां की शिकायते तमाम ।।

अब तन्हा खुद की जिंदगी सफ़र का करता हिसाब किताब कुछ खोने पाने का अंजाम।।

जिसके नीद जागने से जागती आज लम्हों भर के लिए करता प्यार का इंतज़ार।।

जिंदगी के सफ़र में बुढापा
पड़ाव शायद जिंदगी के मिलते
बिछड़ते रिश्ते नातों का अभ्यास अंतिम साँसों का एहसास एहसास।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
48 Views
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