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29 Jun 2022 · 1 min read

जिन्दगी से क्या मिला

जिन्दगी मे, मै हुआ
कितना लहूलुहान
यह मत देखो तुम यारो
देखना है तो यह देखो
अपनों ने कितने तीर
मुझ पर है साधे।

गिन सको तो गिन लो इतना
मिला कितनी बार मुझे
अपनो से विश्वासघात
कितनी बार अपने बनकर
लोगो ने पीठ में है खंजर भोके

कर सको तो कर लो तुम
मेरे टूटे दिल का हिसाब-किताब
कितनी बार लोगो ने इसको
अपने तीखे शब्द बाणों से तोड़े।

दिखा सको तो दिखा दो है ईश्वर
मेरे उन छलनी अँरमा को
जिन अपनो के सपनो के लिए
मैंने थे कई राते जागे।

क्या मिला मुझे जिन्दगी से
यह मत पूछो तुम यारों
बस जैसा कर्म किया था मैंने
वैसा फल न मिला मुझको यारों।

~अनामिका

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 2 Comments · 122 Views
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