जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।

गज़ल
2122…….2122…….212
जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।
हारना औ’र जीतना बेकार में।
इस तरह मसरूफ़ कारोबार में।
खोजते हैं हर खुशी अखबार में।
चाहता जिसको मरीजे इश्क है,
है दवा बस उसके ही दीदार में।
सावधानी रख के थोड़ी बात कर,
कान भी हो सकते हैं दीवार में।
इश्क कर दीदार कर इकरार कर,
क्या रखा है बेबजह तकरार में।
एक से मिल एक अब ग्यारह बनो,
फायदा क्या दो से दो हो चार में।
प्रेम जीव आधार है ‘प्रेमी’ सुनो,
जिंदगी सब मिल गुज़ारो प्यार में।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी