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3 Sep 2024 · 1 min read

**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**

**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
********************************

जाते – जाते वो हम से वफ़ा कर गए,
जो भी शिकवे थे सारे दफा कर गए।

झोली खुशियों से भर दी सदा गैर की,
इन ही बातों से अपने खफा कर गए।

सहते आये बम गोले खुदा की तरह,
हद से ज्यादा ही खुद से जफ़ा कर गए।

गम के बादल सीने पर बरसते रहे,
गैरों का भी वो तो थे नफ़ा कर गए।

सूनी राहें मनसीरत अकेला चला,
हारी बीमारी मन से शफ़ा कर गए।
********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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