Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 2 min read

जागृति और संकल्प , जीवन के रूपांतरण का आधार

जागृति और संकल्प , जीवन के रूपांतरण का आधार

जागृति और संकल्प
जीवन के रूपांतरण का आधार

मनुष्य संसार में केवल प्रसन्न होना ही
जीवन का आधार नहीं

सम्पूर्ण मानवता के श्रेष्ठता का सृजन
ही जीवन का लक्ष्य

उदारता और ईमानदारी
श्रेष्ठ जीवन के मुख्य स्रोत

मानव ह्रदय की दुर्बलताओं पर विजय
पाना जीवन का उद्देश्य

जागृति का सत्य केवल और केवल
ज्ञान मार्ग में निहित

सत्य और असत्य को जानने का एक
अभिगम है जागृति

उचित – अनुचित की कसौटी पर
स्वयं को परखते हुए
जीवन को सही दिशा दिखाने का मार्ग है
जागृति

अहंकार चेतना के सत्यरूपी प्रकाश पर
छाया घना कोहरा है
इस घने कोहरे को हटाने का एकमात्र
प्रयास जागृति है

स्वयं के आंतरिक जगत को समझना ,
जानना और उसे जीवंत बनाए रखना
ही जागृति है

जीवन को समझना , उसकी गरिमा को
जीवंत बनाए रखना जागृति है

जीवन की सार्थकता स्वयं को
गंभीरतापूर्वक लेने में है

मानव और मानवता के पतन का
वर्तमान युग
भविष्य के गर्त में छुपी कुंठित संस्कृति
का संकेत

चिंतन राह पर प्रस्थित होने को मजबूर करता

बार – बार यही दोहराता , क्यों है तू

संकल्प मार्ग से अनजान

संकल्प ! स्वयं को प्रेरित कर
धार्मिक दर्शन की और

जागृत कर स्वयं को
प्रस्थित कर उस राह पर

जहां जीवन , जीवन की भाँति स्वयं

को अवलोकित करे

संकल्प ! उस नवजीवन का जो विचरण

करे दर्शन पथ पर

जागृति जो वर्तमान में व्याप्त कुंठाओं

को समाप्त कर

भविष्य की राह को
पुष्पित वा पल्लवित करे

संकल्प जो जीवन मूल्यों को आदर्श

पथ की और मुखरित करे

जीवन के अर्थ का ज्ञान , जीवन की

पूर्णता का आभास

चिंतन उस पथ का जो मानवतापूर्ण

व्यवहार को जन्म दे

संकल्प, प्रकृति और मानव के बीच का

संतुलन स्थापित करने का

संकल्प जो जागृत करे मानव हित

मानवतापूर्ण संस्कृति व संस्कार

मानव पूर्ण मानव बनने की और अग्रसर

हो यही एकमात्र प्रयास हो

जागृति और संकल्प का

Language: Hindi
1 Like · 77 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
■ बस एक ही सवाल...
■ बस एक ही सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
हर शख्स माहिर है.
हर शख्स माहिर है.
Radhakishan R. Mundhra
अजीब बात है
अजीब बात है
umesh mehra
यह तस्वीर कुछ बोलता है
यह तस्वीर कुछ बोलता है
राकेश कुमार राठौर
2496.पूर्णिका
2496.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मौसम नहीं बदलते हैं मन बदलना पड़ता है
मौसम नहीं बदलते हैं मन बदलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
शिक्षक
शिक्षक
Mukesh Kumar Sonkar
दर्द के रिश्ते
दर्द के रिश्ते
Vikas Sharma'Shivaaya'
है प्यार तो जता दो
है प्यार तो जता दो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कविता
कविता
Vandana Namdev
कुछ नही हो...
कुछ नही हो...
Sapna K S
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
Arvind trivedi
जो बनना चाहते हो
जो बनना चाहते हो
dks.lhp
मैं पीड़ाओं की भाषा हूं
मैं पीड़ाओं की भाषा हूं
Shiva Awasthi
✍️जुस्तजू आसमाँ की..✍️
✍️जुस्तजू आसमाँ की..✍️
'अशांत' शेखर
सावन का मौसम आया
सावन का मौसम आया
Anamika Singh
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
रखो तुम दिल में मुझे और नजर रहने दो
रखो तुम दिल में मुझे और नजर रहने दो
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जो ना कहता है
जो ना कहता है
Otteri Selvakumar
गाऊँ तेरी महिमा का गान (हरिशयन एकादशी विशेष)
गाऊँ तेरी महिमा का गान (हरिशयन एकादशी विशेष)
डॉ.श्री रमण 'श्रीपद्'
मानव तन
मानव तन
Rakesh Pathak Kathara
गांव के घर में।
गांव के घर में।
Taj Mohammad
*हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)*
*हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)*
Ravi Prakash
परवाना ।
परवाना ।
Anil Mishra Prahari
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Shyam Pandey
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
Soniya Goswami
समय और मौसम सदा ही बदलते रहते हैं।इसलिए स्वयं को भी बदलने की
समय और मौसम सदा ही बदलते रहते हैं।इसलिए स्वयं को भी बदलने की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
NUMB
NUMB
Vedha Singh
क्या छठ एक बौद्ध पर्व है?
क्या छठ एक बौद्ध पर्व है?
Shekhar Chandra Mitra
गरम हुई तासीर दही की / (गर्मी का नवगीत)
गरम हुई तासीर दही की / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...