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6 May 2023 · 1 min read

ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,

ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,
ज़हर में ही अमृत को ढूँढ़ते हैं !

कातिल को ही बना लें वो मुंसिफ,
अराजकता को ही अब से पूजते हैं !

अक्स
चंडीगढ़।

Language: Hindi
1 Like · 153 Views
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