Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2023 · 1 min read

ज़रूरी था

कंटीली थी मगर उस रा’ह पे चलना भी ज़रूरी था
औ’र इन पांवों से कांटों का निकलना भी ज़रूरी था

ज़रूरी था कि काली रात के साये सिमट जाते
मगर इसके लिए दीपों का जलना भी ज़रूरी था

हम अपनी सादगी से जाल में फंस तो गए लेकिन
हमें इस क़ैद से इक दिन निकलना भी ज़रूरी था

गले में कब तलक रखते ज़हर को रोक कर आखिर
गले के ज़हर को इक दिन निगलना भी ज़रूरी था

हमें इंसान से पत्थर बनाया था किसी बुत ने
मगर इक दिन मुहब्बत में पिघलना भी ज़रूरी था

—शिवकुमार बिलगरामी

3 Likes · 2 Comments · 735 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
घंटा हिलाने वाली कौमें
घंटा हिलाने वाली कौमें
Shekhar Chandra Mitra
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नारी
नारी
Prakash Chandra
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
पशु पक्षियों
पशु पक्षियों
Surya Barman
بدل گیا انسان
بدل گیا انسان
Ahtesham Ahmad
एक था वृक्ष
एक था वृक्ष
सूर्यकांत द्विवेदी
तन्हाई
तन्हाई
Sidhartha Mishra
मन के ढलुवा पथ पर अनगिन
मन के ढलुवा पथ पर अनगिन
Rashmi Sanjay
क्या कहे हम तुमको
क्या कहे हम तुमको
gurudeenverma198
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट  हो गया है
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Jay prakash
Jay prakash
Jay Dewangan
हवा की डाली
हवा की डाली
Dr. Rajiv
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
Anis Shah
बसंत ऋतु
बसंत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अंग अंग में मारे रमाय गयो
अंग अंग में मारे रमाय गयो
Sonu sugandh
💐प्रेम कौतुक-510💐
💐प्रेम कौतुक-510💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अछय तृतीया
अछय तृतीया
Bodhisatva kastooriya
"छत का आलम"
Dr Meenu Poonia
मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग ।
मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग ।
Mahendra Narayan
" सुर्ख़ गुलाब "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माँ शारदे...
माँ शारदे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
लंगोटिया यारी
लंगोटिया यारी
Sandeep Pande
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
कवि दीपक बवेजा
ईद की दिली मुबारक बाद
ईद की दिली मुबारक बाद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आसाध्य वीना का सार
आसाध्य वीना का सार
Utkarsh Dubey “Kokil”
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
■ कृतज्ञ राष्ट्र...
*Author प्रणय प्रभात*
*सरिता निकलती है 【मुक्तक】*
*सरिता निकलती है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
अपनों को थोड़ासा समझो तो है ये जिंदगी..
'अशांत' शेखर
Loading...