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11 Jan 2022 · 1 min read

ज़ख़्म पत्थर दिलों से मिलते हैं।

गज़ल
2122…….1212……..22
ज़ख़्म पत्थर दिलों से मिलते हैं।
मोम दिल हैं वहीं पिघलते हैं।

प्यार में चोट से है क्या डरना,
चोट खाकर न आह भरते हैं।

इक खिलौना है चांद जिनके लिए,
चांद के वास्ते मचलते हैं।

जिनको पाना है आखिरी मंजिल,
राह खुद ही बना के चलते हैं।

देश पर जो फिदा हुए यारों,
बांध सिर पर कफ़न वो चलते हैं।

दर्दों गम भी खुशी के हैं साथी,
फूल कांटों में ही तो पलते हैं।

प्रेम तब तक अमर है दुनियां में,
प्रेमी जब तक जहां में रहते हैं।

…….. ✍️सत्य कुमार प्रेमी

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