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4 May 2023 · 1 min read

जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है

जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
बिन तेरे ऐ दोस्त मुश्किल सा ये सफर लगता हैं
जो तू था साथ तो कुछ कमी भी नहीं थी हमें
तेरे जाने के बाद बेगाना सा अपना ये शहर लगता है..

विशाल बाबू ✍️✍️

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