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28 May 2023 · 1 min read

“जरा सोचिए”

“जरा सोचिए”
जिनके हाथ नहीं होते
वे लकीरों के अभाव में
क्या जिन्दा नहीं रहते,
और
लकीर वाले हाथ, क्या
जख्मों की पीड़ा नहीं सहते?

10 Likes · 5 Comments · 110 Views
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