जयबालाजी:: वृक्ष- मूल- सिंचनसे जैसे तृप्त :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट४३)
ताटंक छंद : क्रमॉक ४३
वृक्ष- मूल – सिंचन से जैसे तृप्त ‘ कमल ‘ पल्लव होते
भक्तिवान – अर्चनसे वैसे तुष्ट प्रफुल्लित प्रभु होते ।
भक्ति छंद है , भक्ति मंत्र है , भक्ति तंत्र है सुखवाला
तन की गोरी , मन से गौरी , शिव जिसका है रखवाला
——- जितेंद्रकमलआनंद