जयबालाजी; चक्र सुदर्शन ने जब रोका :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३४)
ताटंक ३४
चक्र सुदर्शन ने जब रोका उसको मुखमें ग्रहण किया
पूर्व गरुणके ,पहुँच द्वारिका , अहम् चूर कर सबक दिया
मुदित हुए तब राम अापके, कृष्ण और को थे, बाला !
भार द्वारिकापुरी – द्वारकी रक्षाका तुम पर डाला।।३४!!
—- जितेन्द्रकमल आनंद