जयबालाजी:: खेत जोतनेवाले कृषकों ! :: जितेंद्रकमलआनंद ( ४०)
ताटंक छंद ::
खेत जोतने वाले कृषकों , करो खेत के मत टुकडे ।
लोभी सब बन जायेंगे जब,अर्थहीन होंगे मुखड़े ।
कैसे खेत जुतेगा तेरा, भर पायेगा कब आला ।
भूख पेट की शांत न होगी ,सोचो क्या करना, बाला !!
—— जितेन्द्र कमल आनंद