जान लो पहचान लो

जब मन में संघर्ष की लौ जलने लगे,
तब जान लो कि तुम बड़े होने लगे हो।
जब तुम्हारा मन हार मानने लगे,
तब जान लो तुम अपने पैरों पर खड़े होने लगे हो ।।
जब अपने भी साथ छोड़ने लगे,
तब जान लो तुम सही होने लगे हो ।
जब दुनिया भी ताना सुनाने लगे,
तब जान लो अपनी बात रखने योग्य हो गए हो ।।
जब चारों तरफ अंधेरा छा जाए,
तब समझ लो कि तुम सबकी आंखों में खटकने लगे हो ।
जब सबको लगे तुम उन पर बोझ बन गए हो,
तब समझना अपनी मंजिल के बहुत करीब पहुंचने लगे हो।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि
३१/०१/२०२३