Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2022 · 2 min read

जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!

शीर्षक – जब तुमनें सहर्ष स्वीकारा है!

विधा – कविता

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर,राज.
पिन – 332027
मो. 9001321438

जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है
जो सिलसिले मौन थे
उसको जब तुमने तोड़ा है
क्या करूँ उन तमाम कविताओं का?
जिसमें तुमको खोजने की
कोशिश करता रहा वर्षभर
इतिहास के दस्तावेज बन गई।

कविता में उकेरना आसान था तुमकों
हृदय में छुपा लेना आसान था तुमकों
कविता में ढूँढ़ना आसान था तुमकों
और आसान था तुममें कविता ढूँढ़ना।

वो एक दौर था चला गया!
रोज तुम्हारे पैरों में लिपटकर
मेरी आँखें चलती थी तेरे साथ
सारे दृश्य अन्तर्धान हो जाते मेरे
जब तेरे चेहरे पर उभरती लकीरें
उदासी की, उस समय बेवकूफ था न।

आँसुओं की नमी जो
आँख में ही दबकर सूख जाती
उस समय मेरी नजरें खोज लेती
तुमकों अपने स्वरूप में
जो तू भूल जाती अपने को
तब मैं याद करके तुमको
लिख देता एक अधूरी कविता।

तेरे हाथ की लकीरें जो तुमने देखी
उसमें क्या था वो तुम नहीं जानती
न ज्योतिषी को पता था कि
पवित्र कर्म की रेखाएं हाथों में नहीं होती
पर बदल देती है प्रारब्ध का विधान।

जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है
तब मैं जु़ड़ा तुमसे
सिर्फ यहीं सत्य नहीं है
सत्य ये है कि वो रास्तें खोले तुमने
जिससे प्रेम ही नहीं
सभी मानवीय भावों का
प्रत्यावर्तन होता है बार-बार
और आदमी जुड़ जाता है
प्रकृति के चर-अचर से
सीधा विराट सत्ता से जुड़ जाता है।

मेरी हर आखिरी कोशिश खोजने की
कविता में आकर सिमट जाती तुम्हारी
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है
तो मैं बता दूँ मेरी कविता
अब कविता नहीं रहीं
जीवन के वो दस्तावेज है
जिसमें एक युग की दास्तान है
शोधक आलोचक खोजेंगे
हमारा इतिहास कभी
तब ये कविता ही बतायेगी
तुम कैसी थी और मैं कैसा
जैसा जन्म कुडंली नहीं बताती
उसे कविता कुंडली में खोजना
आलोचको तुम धन्य होओगे
जब पढ़ोगों मेरा लिखा शब्द
और खोजोगे जब तुम
मेरे शब्दों में तथ्य नये
तब के लिए मैं अभी बता देता हूँ
वो रूप जाल में सिमटकर
चुनौती दे रही है प्रारब्ध को।

ये उसी की प्रार्थनाएं है
जो कविता में छुपी है
मैं फिर से जिंदा हूँ
लू के थपेड़ों में जला वृक्ष हूँ
पर सावन मेघ-सी उसकी
प्रेम-फुहारों में फिर
नई कोंपलें निकाल चुका हूँ क्योंकि
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
gurudeenverma198
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तन्हा
तन्हा
अमित मिश्र
औरों के ही रात दिन,
औरों के ही रात दिन,
sushil sarna
जन्मोत्सव अंजनि के लाल का
जन्मोत्सव अंजनि के लाल का
ललकार भारद्वाज
دل کا
دل کا
Dr fauzia Naseem shad
विशाल नन्हा
विशाल नन्हा
Shekhar Deshmukh
प्रेम की पाती
प्रेम की पाती
Awadhesh Singh
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
नौ दो ग्यारह...
नौ दो ग्यारह...
Vivek Pandey
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बदली परिस्थितियों में
बदली परिस्थितियों में
Dr. Bharati Varma Bourai
गीत- मुहब्बत की मगर इतना...
गीत- मुहब्बत की मगर इतना...
आर.एस. 'प्रीतम'
दिल के कोने में
दिल के कोने में
Surinder blackpen
3164.*पूर्णिका*
3164.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वह एक हीं फूल है
वह एक हीं फूल है
Shweta Soni
लत
लत
Mangilal 713
"अदा"
Dr. Kishan tandon kranti
हम सुख़न गाते रहेंगे...
हम सुख़न गाते रहेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
निज़ाम
निज़ाम
अखिलेश 'अखिल'
पेड़ पर अमरबेल
पेड़ पर अमरबेल
Anil Kumar Mishra
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
अब बदला हिंदुस्तान मियां..!
अब बदला हिंदुस्तान मियां..!
पंकज परिंदा
यह कैसा रिश्ता है
यह कैसा रिश्ता है
Minal Aggarwal
02/05/2024
02/05/2024
Satyaveer vaishnav
आओ हम सपने देखें
आओ हम सपने देखें
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बच्चे मन के सच्चे। ( Happy Children's day)
बच्चे मन के सच्चे। ( Happy Children's day)
Rj Anand Prajapati
"अब शायद और मज़बूत होगा लोकतंत्र व संविधान। जब सदन की शोभा बढ
*प्रणय*
Loading...