Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 1 min read

जब आप जीवन में सफलता पा लेते है या

जब आप जीवन में सफलता पा लेते है या
आप पैसा कमाने लग जाते हो,
तब आत्मविश्वास अपने आप आपके अंदर आ जाता है…
सफलता या पैसा आते हो,
वो लोग भी आपको सुनने लगते है लोग आपके जीवन की कहानी को जानने के लिए उत्साहित होते है वो जो आपको देखना तक पसंद नहीं करते थे. और वो भी जो आपको जानते तक नहीं है .!!

सफलता और पैसा माना जिंदगी ने सब कुछ नही है
मगर इसमें कुछ तो है जो इसके बिना कुछ भी नही है आपके जीवन में । ये आते ही हर चीज सरल,सस्ती और अफोर्डेबल हो जाती है। फिर सम्मान हो प्रेम हो, घर हो गाड़ी हो , वक्त हो ।

31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चेहरे पर लिए तेज निकला है मेरा यार
चेहरे पर लिए तेज निकला है मेरा यार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कर दो मेरे शहर का नाम
कर दो मेरे शहर का नाम "कल्पनाथ"
Anand Kumar
अपनी पहचान
अपनी पहचान
Dr fauzia Naseem shad
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
कवि दीपक बवेजा
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
Shweta Soni
"रहबर"
Dr. Kishan tandon kranti
मतलबी
मतलबी
Shyam Sundar Subramanian
मैं तुझे खुदा कर दूं।
मैं तुझे खुदा कर दूं।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
Ravi Prakash
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
है शिव ही शक्ति,शक्ति ही शिव है
है शिव ही शक्ति,शक्ति ही शिव है
sudhir kumar
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
समस्याओं से तो वैसे भी दो चार होना है ।
समस्याओं से तो वैसे भी दो चार होना है ।
Ashwini sharma
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,
शेखर सिंह
आधुनिक युग और नशा
आधुनिक युग और नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
4481.*पूर्णिका*
4481.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
Sarfaraz Ahmed Aasee
हम भी बहुत अजीब हैं, अजीब थे, अजीब रहेंगे,
हम भी बहुत अजीब हैं, अजीब थे, अजीब रहेंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धरा स्वर्ण होइ जाय
धरा स्वर्ण होइ जाय
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
■ सबसे ज़रूरी।
■ सबसे ज़रूरी।
*प्रणय प्रभात*
शब्द अनमोल मोती
शब्द अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
अधूरे उत्तर
अधूरे उत्तर
Shashi Mahajan
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
ruby kumari
Loading...