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30 Jun 2024 · 1 min read

जन्मदिन

पहले वो थे अब ये सब है, आगे अब किसकी बारी है।
हां पिछले बावन वर्षो से अपना, संघर्ष निरंतर जारी है।।

थीं चुनौतियों बहुत कठिन,तो नतमस्तक कर स्वीकार किया।
कांटो भरा डगर जीवन का, अविचिलित नंगे पग पार किया।।

हैं वो बैठी थी घात लगाकर, बाधाओं के जाल बिछा डाले थे।
खेल खेल में बीत गया सब, हम लोग भी तो हिम्मत वाले थे।।

संख्या का खेल नहीं ये सब, ये जीवन खेला है संघर्षों का।
ये संघर्ष है मानव मूल्यों का, उनके आदर्शो व उत्कर्षों का।।

गुरुजन परिजन का धन्यवाद, सब मित्रों का मैं आभारी हूं।
सरल सहज जीवन है “संजय”, बस सत्य का मैं दरबारी हूं।।

मेरे जन्मदिन पर कुछ लिखा आप आनंद ले।

जै श्री सीताराम
जै हनुमंत लला की

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 46 Views
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