जग जननी कल्याण करो
आ जाओ माँ धरा पर भी
रक्त बीजों ने शीश उठाया है ,
घात किया है तेरे नारी रूप पर
नहीं वश में किसी के आया है ।
आकर प्रहार करो उन पर
रक्त दंतिका बन जाओ तुम ,
संताप हर पीड़िताओं का
शक्ति उनमें भर जाओ तुम ।
कुछ ऐसे मानव धरती पर
जो दानव बनकर घूम रहे ,
शुभ निशुंभ असुर की भाँति
हर नारी को हुंकार रहे ।
आ जाओ रणचंडी बनकर
अहंकार उनका चूर्ण करो ,
रक्षा कवच का मंत्र देकर
जग जननी कल्याण करो ।
डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली ।