Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2016 · 1 min read

जग को सजाने चला हूँ

जग सजाने चला हूँ
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गीतिका
दशा मैं हृदय की बताने चला हूँ।
स्वयं के प्रभो को मनाने चला हूँ।

जगत जिस जहर से जला जा रहा है।
अनल द्वेष की वह बुझाने चला हूँ।

भले भीर भारी मुझे भेद डाले।
मगर घाव सबके सुखाने चला हूँ।

हृदय आह सुनकर व्यथित हो रहा है।
कि सुख-युक्ति नर को सुझाने चला हूँ।

मनुज बुध्दि -जीवी विवेकी गुणी है।
इन्हीं सद्गुणों को बढ़ाने चला हूँ।

अँधेरा घना जन- हृदय में दुखों का।
अधर को हँसी -पथ दिखाने चला हूँ।

सकल भूमि ‘इषुप्रिय’ प्रभो का बसेरा।
बिछा प्रेम- गुल जग सजाने चला हूँ।

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

1 Comment · 329 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all

You may also like these posts

ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
Dr fauzia Naseem shad
Kavi Shankarlal Dwivedi in a Kavi sammelan, sitting behind is Dr Pandit brajendra Awasthi
Kavi Shankarlal Dwivedi in a Kavi sammelan, sitting behind is Dr Pandit brajendra Awasthi
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
"मौत से क्या डरना "
Yogendra Chaturwedi
संग तेरे रहने आया हूॅं
संग तेरे रहने आया हूॅं
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
यह देश भी क्या कोई देश है?
यह देश भी क्या कोई देश है?
Shekhar Chandra Mitra
2993.*पूर्णिका*
2993.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बचपन की गलियों में
बचपन की गलियों में
Chitra Bisht
होकर उल्लू पर सवार।
होकर उल्लू पर सवार।
Pratibha Pandey
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
प्रयास सदैव उचित और पूर्ण हो,
प्रयास सदैव उचित और पूर्ण हो,
Buddha Prakash
*गाता मन हर पल रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
*गाता मन हर पल रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आँखों ने समझी नहीं,
आँखों ने समझी नहीं,
sushil sarna
हरीतिमा हरियाली
हरीतिमा हरियाली
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
यहा हर इंसान दो चहरे लिए होता है,
Happy sunshine Soni
इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
सत्य कुमार प्रेमी
शासन व्यवस्था।
शासन व्यवस्था।
Sonit Parjapati
शायद रोया है चांद
शायद रोया है चांद
Jai Prakash Srivastav
सबसे क़ीमती क्या है....
सबसे क़ीमती क्या है....
Vivek Mishra
■ एक शाश्वत सच
■ एक शाश्वत सच
*प्रणय*
*Each moment again I save*
*Each moment again I save*
Poonam Matia
ओ चिरैया
ओ चिरैया
Girija Arora
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
" हिन्दी"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी पहचान का मकसद
अपनी पहचान का मकसद
Shweta Soni
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
जीवन में आनंद लाना कोई कठिन काम नहीं है बस जागरूकता को जीवन
Ravikesh Jha
इश्क था तो शिकवा शिकायत थी,
इश्क था तो शिकवा शिकायत थी,
Befikr Lafz
खेल था नसीब का,
खेल था नसीब का,
लक्ष्मी सिंह
माता, महात्मा, परमात्मा...
माता, महात्मा, परमात्मा...
ओंकार मिश्र
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...