जगी भावना भक्ति,- भाव की ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८६)
जगी भावना भक्ति – भाव की फिर से लगन लिए ।
रचवा दें प्रभु गीत भक्ति के मधुरिम सपन लिए ।।
कब से तुझे पुकार रहा है ,यह मन पागल है ,
यह वियोग में देखो कैसा आहत, घायल है ।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा , दृग मे तपन लिए ।
अब तो आजा राम सखा तू बस जा मेरे हिये ।।
कब होंगे साकार सलोने सपन सुनहरे- से ।
कब पाऊँगा पल अनगिन मैं , रजत रुपहले – से ।
तड़प रहा मिलनातुर तुमसे कैसी अगन लिए ।
होगा कब पावन प्रभु तुमसे मधुर मिलन ,हे प्रिये !!
— जितेन्द्रकमल आनंद