Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2022 · 1 min read

छोड़ दिया सबने ही जहां में हमको।

छोड़ दिया सबने ही जहां में हमको हमारे गर्दिश ए हाल पर।
इस रंग बदलती दुनिया में किसी को भी ना है हमारा ख्याल अब।।1।।

तुमने दौलत के दम पर दुनिया में सब कुछ ही खरीदा होगा।
पर जन्नत जहन्नम मिलेगी तुमको बस अपने आमाल पर।।2।।

बूंद बूंद आब को तरसी कर्बला में जानें कितनी ही जिंदगियां।
पर यजीदियों को रहम ना आया फातिमा जोहरा के लाल पर।।3।।

मुद्दतों बाद फिर वो याद आया बेवफा मुझे ना जाने क्यों।
दिल तड़प कर रोया जब अश्क बन कर शोला गिरे गाल पर।।4।।

उनसे कह दो ज़रा उनके ही जैसे हम भी हैं खुदा के बंदे।
हमारा भी खूं उनकी तरह लाल है ना मानें तो देखले निकाल कर।।5।।

वफ़ा अब देखने को दुनियां में कहीं भी किसी में मिलती नहीं है।
देखो तो ये परिंदे भी ना बैठते हैं सूखे दरख़्तों की किसी डाल पर।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 65 Views
You may also like:
अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए
अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए
कवि दीपक बवेजा
लोकदेवता :दिहबार
लोकदेवता :दिहबार
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
देव उठनी एकादशी/
देव उठनी एकादशी/
ईश्वर दयाल गोस्वामी
छठ पर्व
छठ पर्व
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
Forgive everyone 🙂
Forgive everyone 🙂
Vandana maurya
हमारा प्रेम
हमारा प्रेम
अंजनीत निज्जर
*तुम्हारे साथ में क्या खूब,अपनी इन दिनों यारी (भक्ति गीत)*
*तुम्हारे साथ में क्या खूब,अपनी इन दिनों यारी (भक्ति गीत)*
Ravi Prakash
"मजदूर"
Dr. Kishan tandon kranti
Power of Brain
Power of Brain
Nishant prakhar
अंजाम ए जिंदगी
अंजाम ए जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
Rashmi Sanjay
💐प्रेम कौतुक-401💐
💐प्रेम कौतुक-401💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरी आंखों में
मेरी आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
बहादुर फनकार
बहादुर फनकार
Shekhar Chandra Mitra
बन गई पाठशाला
बन गई पाठशाला
rekha mohan
मुझे कृष्ण बनना है मां
मुझे कृष्ण बनना है मां
Surinder blackpen
✍️यादों के पलाश में ..
✍️यादों के पलाश में ..
'अशांत' शेखर
।। अंतर ।।
।। अंतर ।।
Skanda Joshi
जिंदगी
जिंदगी
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
मेरे भी अध्याय होंगे
मेरे भी अध्याय होंगे
सूर्यकांत द्विवेदी
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
Leena Anand
वक्त के लम्हों ने रुलाया है।
वक्त के लम्हों ने रुलाया है।
Taj Mohammad
#जवाब जिंदगी का#
#जवाब जिंदगी का#
Ram Babu Mandal
साथ जब चाहा था
साथ जब चाहा था
Ranjana Verma
"कैसे सबको खाऊँ"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
आज फिर गणतंत्र दिवस का
आज फिर गणतंत्र दिवस का
gurudeenverma198
नाथू राम जरा बतलाओ
नाथू राम जरा बतलाओ
Satish Srijan
जीवन में ही सहे जाते हैं ।
जीवन में ही सहे जाते हैं ।
Buddha Prakash
क़तआ (मुक्तक)- काहे की फ़िक़्र...?
क़तआ (मुक्तक)- काहे की फ़िक़्र...?
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...