Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2023 · 1 min read

आवारगी मिली

छुप छुप के मैंने देखा,
गलियों में उनकी जाकर,
मैं बन गया दीवाना
निकले वो मुस्कराकर।
लहराये काले गेसू
जब भी हवा चली।
मैंने किसी को चाहा तो,
आवारगी मिली।

सतीश सृजन

Language: Hindi
536 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all

You may also like these posts

क्या वायदे क्या इरादे ,
क्या वायदे क्या इरादे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
निरर्थक शब्दों में अर्थ
निरर्थक शब्दों में अर्थ
Chitra Bisht
रात का रक्स जारी है
रात का रक्स जारी है
हिमांशु Kulshrestha
तेवरी और ग़ज़ल, अलग-अलग नहीं +कैलाश पचौरी
तेवरी और ग़ज़ल, अलग-अलग नहीं +कैलाश पचौरी
कवि रमेशराज
स्वेटर का झमेला
स्वेटर का झमेला
Vivek Pandey
#हे राम मेरे प्राण !
#हे राम मेरे प्राण !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"रंग और पतंग"
Dr. Kishan tandon kranti
शायद रोया है चांद
शायद रोया है चांद
Jai Prakash Srivastav
22.Challenge
22.Challenge
Santosh Khanna (world record holder)
*दिल्ली*
*दिल्ली*
Pallavi Mishra
पर्वत और गिलहरी...
पर्वत और गिलहरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3968.💐 *पूर्णिका* 💐
3968.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
एक तेरे चले जाने से कितनी
एक तेरे चले जाने से कितनी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
Rj Anand Prajapati
एकलव्य
एकलव्य
Khajan Singh Nain
अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
manjula chauhan
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ सुबह-सुबह का ज्ञान।।
■ सुबह-सुबह का ज्ञान।।
*प्रणय*
It’s about those simple moments shared in silence, where you
It’s about those simple moments shared in silence, where you
पूर्वार्थ
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
नज़्म तुम बिन कोई कही ही नहीं।
Neelam Sharma
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सत्य कुमार प्रेमी
*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*
*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इंसान को,
इंसान को,
नेताम आर सी
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
Ranjeet kumar patre
इतने भी नासमझ ना समझो हमको
इतने भी नासमझ ना समझो हमको
VINOD CHAUHAN
*** सैर आसमान की....! ***
*** सैर आसमान की....! ***
VEDANTA PATEL
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...