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2 Feb 2022 · 1 min read

छलावी समानता

तू जन्मा तो
घर भर में
खुशियों के नगाङे बजने लगे।
मैं जन्मी तो
आस बुझी
हर आँख से आंसू झरने लगे!

तू जन्मा तो
तेरी माँ का सम्मान दोगुना हो गया।
मैं जन्मी तो
मेरी माँ का
इन्सान होना भी खो गया!

तू जन्मा
तो पिता ने समझा
बोझ हुआ कुछ कम सर से।
मैं जन्मी तो
चिंताओ की मानो आफत आ गई हो घर पे!

तू जन्मा तो
बहन तुझे भगवान के घर से लाई थी।
मैं जन्मी तो
उस बेगुनाह ने
सैकङों बद्दुआ खाई थी!

और इस ‘समानता’ नाम के विषय पर
हर रोज सभाएँ होती हैं।
जैसे लिख ही देंगें हर दिल पर अनुच्छेद 14
प्रतिज्ञाएँ होतीं हैं।
कौन सी समानता?
कहां की समानता ?
क्यों समान समान चिल्लाते हैं?
जब ये बुद्धिजीवी
इस सत्य को स्वयं ही अपना ना पाते हैं___

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 1 Comment · 151 Views
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